आंखे बंद मत करना जब सुनेगी मुझे
वर्ण शयद रो नहीं पायेगी मेरे लिए
हाँ ऐसा होता है अक्सर , जब मूंद लेते है आंखे
तो सब धुंदला हो जाता है, और दर्द भी कुछ धूमिल हो जाता है
ना होना तू जुदा मेरे अहसास से , कर लेना तू बजू मेरी हर बात से
सांसे मत धीमे कर लेना जब महकेगी मेरी खुशबू
वरना शयद सुन न सकेगी मेरे हर ज़ख़्म
हाँ ऐसा होता है अक्सर , जब मूंद लेते है आंखे
तो सब धुंदला हो जाता है, और दर्द भी कुछ धूमिल हो जाता है
रास्तो से कंही मुड़ न जाना जब नज़दीक़ हो मेरी रहगुजर
वरना शयद ावाद नहीं होगा मेरा वज़ूद
ज़ख्म हों के गर अखर , या के पीर हो प्रखर
हाँ ऐसा होता है अक्सर , जब मूंद लेते है आंखे
तो सब धुंदला हो जाता है, और दर्द भी कुछ धूमिल हो जाता है
@प्रखर @silenecemustbeheard