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Wednesday, September 30, 2015

हर आहट पे तेरे आने का इंतज़ार कर रहा हूँ ।


हर आहट पे तेरे आने का इंतज़ार कर रहा हूँ
में अपने सपनो को तेरी आँखों में बून रहा हूँ।

तू उस पार खुश  है अपने हमनवां के साथ ,
इस पार में तन्हाई में अपना आईना चुन रहा हूँ।

चंद लम्हों का सही कुछ प्यार तो किया तूने
उन्ही लम्हों में अपनी जिंदगी बजू कर रहा हूँ

मुझे यकीन है तेरा सिला बेवजह नहीं है
जो कर रही है मुझे हिज़्रा के हवाले
तेरे अपने है बजह या है तेरा चाहने वाला
पर इस विरह की आग में, क्यों बस मेँ जल रहा हूँ।

हर आहट पे तेरे आने का इंतज़ार कर रहा हूँ
में अपने सपनो को तेरी आँखों में बून रहा हूँ।

देखता हूँ हर तरीका तेरी खबर पाने को 
अंजानो  से भी बात कर लेता हूँ तेरा हाल पाने को 
तूने सजा ली है चुप्पी अपने होठो पे , मुझे तो  फ़िक्र नई अपनी 
तेरा क्या हाल है, हर पल बस यही सोच रहा हूँ। 

मन ही मन सोचता हूँ, चल फिर से  में ही पहल कर दूँ 
फिर लगता है डर , कंही तेरी खुशी न खलल कर दूँ 
तू खुश है मेरे बिना भी , इसीलिए दूर हूँ 
तेरे साथ बीते लम्हों में अपनी जिंदगी बसर कर रहा हूँ। 

अब और क्या कहू हाल में तेरे बिना क्या है मेरा 
तू सुन नहीं सकती फिर भी में कहे जा रहा हूँ। 

हर आहट पे तेरे आने का इंतज़ार कर रहा हूँ
में अपने सपनो को तेरी आँखों में बून रहा हूँ। 

@silence must be heard 




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