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Wednesday, October 13, 2021

मिलो तो ऐसे मिलो के फिर जुदा न हो

मिलो तो ऐसे मिलो के फिर जुदा न हो 

ग़म हो रंज हो बस उस रात की सुबह न हो 


तेरी अन्हट शोखियां काफी है डूब जाने के लिए 

किस्से भी हो कहानी भी हो, बस वो बयां ना हो


ऐसे डूब जाए तू मुझमें और में तुझमें 

की रहगर दोनों में कोई और फर्क्क ना हो 


यूं तो खुदा के नेमत में कोई भी कमी नहीं 

याद ही काफी है , गम नहीं की तुम साथ ना हो


समेट लो प्रखर,  वो लम्हे अपनी यादो के 

कल क्या पता शायद, हम ही न हों |


 


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