हमारी बातो के उनपे हुए कितने वो जखम देखते है ,
हमसे दूर रहते है पर हमारे सितम देखते है !
हम तो रहते है तन्हा, मस्त अपने ख्वाबो के साथ ,
थे कितने गहरे खवाबो के मेरे जज़्बात देखते है।
हिसाब रखते है उनसे दूर रहने का हर एक पल ,
इन हिसाबो में उनका मुकाम देखते है
प्रखर सी रात का सूरज अक्सर रौशन ही होता है ,
जागते है दिन में स्याह होक, अंधेरो में हम चिराग देखते है ।
उनसे दूरी को मानते है उनकी मजबूरी हम ,
मुकम्मल न हो सके जो वो एहसास देखते है ।
ये वक़्त तो कट ही जायेगा कभी हस के कभी रोके ,
मंजिलो से हो हमेशा रहगुजर , हम ये राह देखते है ।
होश वालो को अक्सर रहती नहीं खबर दुनिया की,
बेखबर ही सही, मद मस्त होकर भी सब देखते है ।
क्यों बेकद्र किया मेरे मुकदर ने मुझे,
मेरी कामयाबी की होगी जब बात देखते हैं ।
अंधेरो में हम चिराग देखते है ।
अंधेरो में हम चिराग देखते है ।
@प्रखर
Awesome Prakhar.😃
ReplyDeleteSahi
ReplyDeleteBlog follow kaise karte hain? Link nahi dikh raha hai kahin. I have to follow your blog. Please help
ReplyDeleteDude, just login once again. You will see the link. for subscribe.
DeleteAwesome prakhar bhavmayi kavita
ReplyDeleteThanks a lot :)
DeleteAwesome
ReplyDeleteNice..
ReplyDeleteGreat thanks for sharing beautiful thoughts
ReplyDeleteJhakash
ReplyDeleteYo :) Kindly follow and subscribe. https://www.youtube.com/watch?v=hWbLG0Seh10
DeleteJhakash
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